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भोपाल

CARING: जिनके बच्चे घर से दूर उन मां-बाप को हो सकती है ये बीमारी

डॉक्टर्स का कहना है कि हर रोज एक मामला एेसा आता है जिसमें दंपत्ती बच्चों से दूर रहने के कारण  मानसिक बीमारियों की चपेट में आ गए हैं।

भोपालJul 13, 2016 / 10:07 am

Anwar Khan

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इस केस से समझें अपनी बीमारी…
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी श्रीकांत व्यास (परिवर्तित नाम) ने अपने बेटे को बीते छह साल से नहीं देखा। बेटा अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में रहता है। वहीं शादी और बच्चे हो गए। स्थिति यह है कि श्रीकांत ने अपनी नन्ही पोती को सीने से लगाने को बेताब हैं लेकिन भोपाल से न्यूजर्सी की दूरी बाधा बन रही है। बेटे और पोती से इस दूरी ने उन्हें डिप्रेशन के साथ तमाम बीमारियों का शिकार बना दिया है। वे इन दिनों मनोचिकित्सक की मदद ले रहे हैं।

प्रवीण श्रीवास्तव @ भोपाल। जी हां! ये सच है। यदि आपके बच्चे भी घर से दूर रहते हैं तो आप अपना स्वयं परीक्षण करें और ये जांचें कि कहीं आप भी डिप्रेशन का शिकार तो नहीं हो रहे? मध्यप्रदेश के भोपाल में हाल ही में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता बच्चों से लगातार दूर रहने से डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि हर रोज एक मामला एेसा आता है जिसमें दंपत्ती बच्चों से दूर रहने के कारण मानसिक बीमारियों की चपेट में आ गए हैं।

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भोपाल के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि इन लोगों को बच्चों से दूर रहने का दुख तो होता है लेकिन यह नहीं पता होता कि इसके चलते वे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। आपस में लड़ाई, मनमुटाव, काम में मन न लगना जैसी बीमारियों के बाद डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। तमाम जांच सामान्य होने पर डॉक्टर उन्हें मनोचिकित्सक के पास जाने की सलाह देते हैं। वे बताते हैं कि हर रोज ओपीडी में पांच फीसदी मामले एेसे आते हैं।


बच्चों से मिलते ही हो जाते हैं ठीक
डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक काउंसलिंग के दौरान हम माता पिता और फोन पर बच्चों से बात करते हैं। उन्हें समझाते हैं कि वे कुछ दिनों के लिए घर आ जाएं। कई बार देखा है कि अपने बच्चों या पोते-पोतियों से मिलते ही सारी बीमारियां तुरंत खत्म हो जाती है। 


ओपीडी के चौंकाने वाले फैक्ट
– 5 फीसदी बच्चों से अलग रहने वाले माता पिता में 70 फीसदी बीमार
– 2000 करीब शहर में विदेश में रहने वाले परिवार 
– 25 फीसदी पांच सालों में बढ़ गए मामले

यह होती हैं दिक्कतें
डिप्रेशन, स्वभाव का चिड़चिड़ा होना, वजन कम होना, नींद नहीं आने के साथ कई बार हृदय संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं।

यह करें माता-पिता
– बच्चों को अपनी अहमियत को समझाएं 
– दंपती दोस्ताना व्यवहार करेंं
– नए दोस्त बनाएं और अपनी पसंद का काम करें

यह करें बच्चे 
– माता-पिता से हर रोज बात जरूर करें
– नियमित रूप से मिलने आएं 
– उन्हें सांत्वना दें कि वे अकेले नहीं हैं

बच्चों को बताएं अपनी जरूरत 
मनोचिकित्सक और काउंसलर डॉ. मोनिका वर्मा बताती हैं कि अकेलेपन से पेरशान बजुर्ग उनके पास आते हैं तो बड़े गर्व से बताते हैं कि उनके बच्चे विदेश में हैं। पति-पत्नी अपनी बीमारी के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं। काउंसलिंग के दौरान हम उन्हें बताते हैं कि बच्चों के दूर रहने के कारण यह स्थिति बनी है। इसलिए जरूरी है कि मां बाप बच्चों को बताए कि इस समय उन्हें बच्चों की जरूरत है। 

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